जीएसटी में कमी से जलीय कृषि व्यवसाय को समग्र रूप से क्या लाभ होगा? विस्तार से पढ़ें


-संरक्षित मछली, झींगा और मसल्स पर जीएसटी कम करने से देश के समुद्री खाद्य निर्यात को वैश्विक स्तर पर मजबूती मिलेगी
-स्वच्छ और सुरक्षित प्रसंस्कृत समुद्री खाद्य की घरेलू खपत बढ़ेगी


नई दिल्ली। जीएसटी को वास्तव में अच्छा और सरल (गुड एंड सिंपल) कर बनाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप, जो अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र को सशक्त बनाता है, 3 सितंबर, 2025 को आयोजित जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक में स्वीकृत नए जीएसटी संशोधनों ने मत्स्य पालन क्षेत्र को एक बड़ा बढ़ावा दिया है।


मत्स्य पालन क्षेत्र में कर दरों में उल्लेखनीय सुधार से परिचालन लागत कम होगी, घरेलू और निर्यात बाज़ारों में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और देश के लाखों मत्स्य पालकों और अन्य हितधारकों को सीधा लाभ होगा जो अपनी आजीविका के लिए मत्स्य पालन और जलीय कृषि पर निर्भर हैं।


संशोधित संरचना के तहत, मछली के तेल, मछली के अर्क और तैयार या संरक्षित मछली और झींगा उत्पादों पर जीएसटी यानी वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है, जिससे मूल्यवर्धित समुद्री भोजन घरेलू उपभोक्ताओं के लिए अधिक किफायती हो गया है और इसकी निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता में वृद्धि हुई है।


जलकृषि और संवर्धन केंद्रों के लिए आवश्यक डीजल इंजन, पंप, एरेटर और स्प्रेयर पर अब केवल 5 प्रतिशत जीएसटी लगेगा, जो पहले 12 से 18 प्रतिशत था। इससे मत्स्य पालकों की परिचालन लागत कम होगी। जलकृषि और जल गुणवत्ता प्रबंधन में उपयोग किए जाने वाले प्रमुख रसायनों जैसे अमोनिया और सूक्ष्म पोषक तत्वों पर भी 5त्न कर लगाया जाएगा, जो पहले 12-18त्न था। इससे चारे, तालाब के रखरखाव और कृषि-स्तरीय प्रथाओं की लागत कम होगी।


संरक्षित मछली, झींगा और मसल्स पर जीएसटी में कमी से देश के समुद्री खाद्य निर्यात को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, इससे स्वच्छ और सुरक्षित प्रसंस्कृत समुद्री खाद्य की घरेलू खपत में भी वृद्धि होगी। मछली पकडऩे की छड़ों, डोरियों, छोटे जालों, तितली जालों और उपकरणों पर जीएसटी दर 12त्न से घटाकर 5त्न कर दी गई है। इससे मनोरंजक/खेल मत्स्य पालन के साथ-साथ लघु जलीय कृषि और कैप्चर मत्स्य पालन से जुड़े किसानों को लाभ होगा।


आवश्यक उपकरण अधिक लागत प्रभावी बनेंगे, इनपुट लागत कम होगी और इस क्षेत्र में आजीविका को बढ़ावा मिलेगा। इस निर्णय से प्रसंस्करण इकाइयों को और राहत मिलेगी। खाद्य और कृषि प्रसंस्करण क्षेत्रों, जिनमें समुद्री खाद्य भी शामिल है, में जॉब वर्क सेवाओं पर जीएसटी 12 प्रतिशत से घटाकर 5प्रतिशत कर दिया जाएगा। जैविक खाद बनाने और पर्यावरण के अनुकूल तालाब प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कम्पोस्टिंग उपकरण पर अब 5त्न कर लगेगा। इससे स्थायी मत्स्य पालन प्रथाओं को बढ़ावा मिलेगा।


इन सुधारों से मछुआरों, मत्स्यपालकों, छोटे मछुआरों, महिला स्वयं सहायता समूहों और सहकारी समितियों को सीधा लाभ मिलने, उनके वित्तीय बोझ को कम करने और ग्रामीण आजीविका में सुधार होने की उम्मीद है। संशोधित जीएसटी दरें 22 सितंबर 2025 से लागू होंगी। ये निर्णय भारत के मत्स्य पालन क्षेत्र को अधिक उत्पादक, प्रतिस्पर्धी और टिकाऊ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं और एक मजबूत नीली अर्थव्यवस्था के सरकार के दृष्टिकोण के पूरी तरह अनुरूप हैं जो एक विकसित भारत में योगदान देता है।

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