छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए खुशखबरी: केंद्र सरकार ने दी 60 हजार टन अतिरिक्त यूरिया की सौगात, जानिए कैसे और कब मिलेगा इसका लाभ

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रायपुर/कृषि लाभ।
देश के अन्नदाता किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए यह खबर किसी सौगात से कम नहीं है, क्योंकि केंद्र सरकार ने राज्य के लिए 60 हजार टन अतिरिक्त यूरिया के आवंटन को मंजूरी दे दी है। यह फैसला ऐसे समय में आया है, जब खरीफ की फसलें अपने महत्वपूर्ण चरण में हैं और किसानों को उर्वरकों की सख्त जरूरत है। इस अतिरिक्त आवंटन से न केवल राज्य में यूरिया की उपलब्धता सुनिश्चित होगी, बल्कि किसानों को समय पर उर्वरक मिलने से उनकी फसलों की पैदावार में भी बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।

कब और कैसे मिलेगा अतिरिक्त यूरिया?

केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत यह 60 हजार टन अतिरिक्त यूरिया सितंबर महीने में तीन चरणों में राज्य को उपलब्ध कराया जाएगा। पहले चरण में, सितंबर के पहले सप्ताह में 20 हजार टन यूरिया की खेप छत्तीसगढ़ पहुंचेगी। इसके बाद, दूसरे सप्ताह में 35 हजार टन और महीने के अंत तक शेष 5 हजार टन यूरिया की आपूर्ति की जाएगी। इस चरणबद्ध तरीके से आवंटन का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि राज्य के हर कोने में किसानों तक यूरिया की पहुंच सुचारू रूप से हो सके और वितरण में किसी भी प्रकार की कोई बाधा न आए।

राज्य में उर्वरकों की वर्तमान स्थिति

छत्तीसगढ़ सरकार के कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार, चालू खरीफ सीजन में 28 अगस्त तक सहकारी और निजी क्षेत्रों में कुल मिलाकर 7 लाख 2 हजार 642 मीट्रिक टन यूरिया का भंडारण किया गया था। इसमें से 6 लाख 38 हजार 599 मीट्रिक टन यूरिया किसानों को वितरित किया जा चुका है। यह आंकड़ा पिछले वर्ष की इसी अवधि में हुए वितरण से कहीं अधिक है, जो इस बात का प्रमाण है कि राज्य सरकार उर्वरकों की आपूर्ति और वितरण को लेकर कितनी गंभीर और सक्रिय है। बेहतर आपूर्ति व्यवस्था के कारण ही इस वर्ष किसानों को पिछले साल की तुलना में अधिक मात्रा में यूरिया उपलब्ध कराया जा सका है।

उर्वरकों की उपलब्धता में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम

राज्य सरकार न केवल पारंपरिक उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित कर रही है, बल्कि आधुनिक और उन्नत किस्म के उर्वरकों को भी बढ़ावा दे रही है। इसी कड़ी में, किसानों के लिए नैनो यूरिया और नैनो डीएपी का भी पर्याप्त भंडारण किया गया है। नैनो यूरिया और नैनो डीएपी पारंपरिक उर्वरकों की तुलना में अधिक प्रभावी और पर्यावरण के लिए भी कम हानिकारक होते हैं। इनके उपयोग से फसलों की पैदावार में वृद्धि होती है और मिट्टी की सेहत भी बनी रहती है।

प्रदेश में खरीफ सीजन के लिए निर्धारित रासायनिक खाद के लक्ष्य से अधिक भंडारण हो चुका है, जो किसानों के लिए एक बड़ी राहत की बात है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि किसानों को उर्वरकों के लिए कहीं भटकना नहीं पड़ेगा और उन्हें उनकी जरूरत के अनुसार पर्याप्त मात्रा में उर्वरक उपलब्ध हो सकेगा।

किसानों के लिए क्यों महत्वपूर्ण है यूरिया?

यूरिया एक नाइट्रोजनयुक्त उर्वरक है, जो पौधों की वृद्धि और विकास के लिए অত্যন্ত आवश्यक है। यह पौधों में क्लोरोफिल के निर्माण में मदद करता है, जिससे पत्तियां हरी-भरी रहती हैं और प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया सुचारू रूप से चलती है। यूरिया के उपयोग से फसलों की पैदावार में उल्लेखनीय वृद्धि होती है और दानों का आकार भी बढ़ता है। धान, गेहूं, मक्का, गन्ना जैसी फसलों के लिए यूरिया एक रामबाण की तरह काम करता है।

छत्तीसगढ़ एक कृषि प्रधान राज्य है, जहां की अधिकांश आबादी अपनी आजीविका के लिए खेती पर निर्भर है। ऐसे में, किसानों को समय पर और पर्याप्त मात्रा में उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करना राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। केंद्र सरकार द्वारा 60 हजार टन अतिरिक्त यूरिया का आवंटन राज्य सरकार के इन्हीं प्रयासों को और मजबूती प्रदान करेगा।

किसानों में खुशी की लहर

केंद्र सरकार के इस फैसले से प्रदेश के किसानों में खुशी की लहर दौड़ गई है। किसानों का कहना है कि इस अतिरिक्त यूरिया से उन्हें अपनी फसलों की बेहतर देखभाल करने में मदद मिलेगी और उनकी पैदावार में भी बढ़ोतरी होगी। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह के कदमों से किसानों का मनोबल बढ़ता है और वे और अधिक मेहनत और लगन से खेती करने के लिए प्रेरित होते हैं।

केंद्र सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ के लिए 60 हजार टन अतिरिक्त यूरिया का आवंटन किसानों के हितों के प्रति उसकी संवेदनशीलता और प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह फैसला न केवल राज्य में उर्वरकों की कमी को दूर करेगा, बल्कि किसानों की आय में वृद्धि करने और उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उम्मीद है कि केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों से छत्तीसगढ़ के किसान आने वाले समय में और अधिक सशक्त और आत्मनिर्भर बनेंगे और राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे।

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