रायपुर। छत्तीसगढ़ में धान खरीदी के लिए अनिवार्य एग्री स्टेक पोर्टल में पंजीयन की समय सीमा समाप्त हो चुकी है, लेकिन तकनीकी खामियों और जटिल प्रक्रियाओं ने लाखों किसानों को इस प्रक्रिया से बाहर कर दिया है। भुईयां और एकीकृत किसान पोर्टल में पहले से दर्ज डेटा का एग्री स्टेक पोर्टल से मेल न खाने के कारण किसानों के खसरा और भूमि विवरण में त्रुटियां सामने आई हैं। इस वजह से कई किसान बार-बार दौड़भाग करने के बावजूद पंजीयन नहीं करा पाए हैं।
पिछले साल से भी कम पंजीयन
पंजीयन की अंतिम तारीख 30 सितंबर थी, जिसे पहले 30 अगस्त से बढ़ाकर एक महीने का अतिरिक्त समय दिया गया था। लेकिन इस दौरान भी विभाग तकनीकी खामियों को दूर नहीं कर सका। नतीजतन, इस साल पंजीकृत किसानों की संख्या पिछले साल की तुलना में भी कम रही। एग्री स्टेक पोर्टल में साढ़े तीन लाख किसानों के खसरा विवरण मेल नहीं खा रहे हैं।
खसरा दर्ज करने में अड़चन
पोर्टल में किसानों को अपनी जमीन का हर खसरा नंबर अलग-अलग दर्ज करना पड़ा। जिन किसानों की जमीन एक से अधिक गांवों या तहसीलों में थी, उन्हें पहले एक गांव का पंजीयन कराकर पटवारी और तहसीलदार से अनुमोदन लेना पड़ा। इसके बाद ही दूसरे गांव की प्रक्रिया शुरू हो सकी। इस जटिल और समय लेने वाली प्रक्रिया ने पंजीयन में देरी को बढ़ाया।
किसानों की मुख्यमंत्री से गुहार
छत्तीसगढ़ किसान संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह और मुख्य सचिव विकास शील को पत्र सौंपकर पोर्टल की खामियों को दूर करने, पंजीयन की समय सीमा बढ़ाने और इस साल धान खरीदी को पूर्ववत एकीकृत किसान पोर्टल से मान्य करने की मांग की है। समिति के संयोजक भूपेंद्र शर्मा ने कहा कि तकनीकी समस्याओं ने किसानों को परेशान किया है।
किसान संगठनों का विरोध
कीट प्रकोप से पहले ही नुकसान झेल रहे किसानों का कहना है कि पंजीयन न होने से धान खरीदी पर संकट मंडरा रहा है। किसान संगठनों ने विरोध तेज करते हुए मांग की है कि पुराने एकीकृत किसान पोर्टल के आधार पर ही पंजीयन और खरीदी की प्रक्रिया को मान्य किया जाए। अगर स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो किसानों का आंदोलन और तेज हो सकता है।
