डबरी बनी मधुसूदन के लिए स्थायी आजीविका का आधार : मनरेगा से बदली किसान की तकदीर, जल संरक्षण के साथ बढ़ी आय


रायपुर । महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) राज्य में केवल रोजगार सृजन का माध्यम नहीं रह गई है, बल्कि यह ग्रामीण परिवारों के लिए स्थायी आजीविका और आर्थिक आत्मनिर्भरता का मजबूत आधार बन रही है। योजना के अंतर्गत निर्मित आजीविका डबरी जल संरक्षण, जल संवर्धन और सिंचाई सुविधा के साथ-साथ किसानों की नियमित आय का भरोसेमंद साधन बन रही है।


जिला प्रशासन द्वारा जिले में मनरेगा योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन करते हुए ग्रामीणों को स्थायी आजीविका से जोड़ा जा रहा है। इसी क्रम में जशपुर जिले के विकासखंड बगीचा अंतर्गत ग्राम पंचायत कुदमुरा निवासी किसान मधुसूदन (पिता भादो) ने अपनी निजी कृषि भूमि पर आजीविका डबरी का निर्माण कर आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश की है। डबरी निर्माण के बाद मधुसूदन को प्रतिवर्ष लगभग 2 लाख 20 हजार रुपये की अतिरिक्त आय प्राप्त हो रही है।


ग्राम पंचायत की बैठक में मनरेगा योजना की जानकारी मिलने के बाद मधुसूदन ने अपनी भूमि पर डबरी निर्माण का निर्णय लिया। योजना के तहत उनकी कृषि भूमि पर 2.85 लाख रुपये की लागत से डबरी स्वीकृत की गई और कार्य शीघ्र प्रारंभ किया गया। इस निर्माण कार्य के दौरान 52 जॉब कार्डधारी परिवारों के 271 श्रमिकों को रोजगार मिला, जिससे कुल 1565 मानव-दिवस का सृजन हुआ।


डबरी निर्माण के पश्चात मधुसूदन ने इसके समीप स्थित लगभग 80 डिसमिल भूमि में टमाटर, फूलगोभी और मिर्च जैसी उद्यानिकी फसलों की खेती शुरू की, जिससे उन्हें प्रतिवर्ष लगभग 1 लाख 50 हजार रुपये की आय हो रही है। इसके साथ ही डबरी में मछली बीज संचयन कर मछली पालन भी किया जा रहा है, जिससे लगभग 70 हजार रुपये प्रति वर्ष की अतिरिक्त आमदनी प्राप्त हो रही है।


आजीविका डबरी ने मधुसूदन के लिए आय का स्थायी और सुदृढ़ आधार तैयार किया है। उनकी सफलता न केवल जल संरक्षण और कृषि विकास का उदाहरण है, बल्कि क्षेत्र के अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणास्रोत बन रही है। मनरेगा के माध्यम से किसान अब आत्मनिर्भर बनते हुए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान कर रहे हैं।

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